गाय पर निबंध हिंदी में-Gay par Nibandh-Essay on Cow Hdi

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नमस्कार दोस्तों इस लेख मे आपको गाय पर निबंध हिंदी में Gay per Nibandh लिखने के लिए जरूरी जानकारी दी हैं। आप Essay on Cow Hdi पर भाषण कर...

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गाय पर निबंध GAY PAR NIBANDH

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१० पंक्तियों में गाय पर निबंध – Gay par nibandh 10 leहमारे भारत में गाय को धेनु, गौ, सुरभि, रोहिणी, भद्रा नाम से भी संबोधित जाता है. नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख मे आपको गाय पर निबंध हिंदी में (Gay per Nibandh) लिखने के लिए जरूरी जानकारी दी हैं। यदि आप Essay on Cow Hdi इस विषय पर भाषण की तैयारी कर रहे है तब भी यह लेख आप के लिए उपयुक्त रहेगा। इस निबंध को आप दसवी कक्षा से बारहवी कक्षा तक सीधे तौर से और पाँचवी कक्षा से नौवि कक्षातक कुछ अनुच्छेद मे बदलाव कर के इस्तमाल कर सकते है।. गाय पर निबंध Gay Par Nibandh.

गाय पर निबंध हिन्दी मे | GAY PER NIBANDH

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गाय पर निबंध हिंदी में (Gay par Nibandh)गाय की शारीरिक बनावटगाय के फायदेगाय का धार्मिक महत्वभारत में पायी जानेवाली गाय की प्रजातीयये भी हिंदी निबंध जरुर पढ़िए. हिंदू धर्म में गाय को विशेष दर्जा दिया जाता हैं। इसे माता का स्वरूप माना गया हैं और कहते हैं की हिंदू धर्म के सभी देव-देवता गाय में वास करतें हैं। इसी लिये गाय का पूजन और इसे चारा देना एक पुण्य का काम माना गया हैं। भारत में दिवाली के उत्सव के दूसरा दिन गोवर्धन पूजा का होता हैं जिसमें गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती हैं। इस दिन गाय (gay per nibandh) को विशेष तौर पर सजाया जाता हैं और इस दिन उसे कई तरह के पकवानोंका भोग चढ़ाया जाता हैं।. किसी भी अन्य पालतू प्राणी की तरह ही गाय की शारीरिक बनावट होती हैं। जिसे दो सिंग, चार पाय, दो आंखे, दो कान, दो नथुने, चार थन और एक बड़ी सी पुंछ होती हैं। गाय के कुछ नस्ल में सिंग नहीं होते। भारत में पायी जानेवाली गाय विदेश की गाय के मुकाबले कद से थोड़ी छोटी होती हैं। गाय की बड़ी पुंछ के नीचे बालों का एक गुच्छा होता हैं जो उसे बदन पर बैठी मक्खी को मारने के काम आता हैं। गाय (Gay par Nibandh) के पैरों में खुर होतें हैं जो बहुत हद तक हमारे नाखून की तरह रहते हैं जो गाय को चलते वक्त चोट से बचाने में मदत करते हैं। आम तौर पर गाय एक शांत प्राणी हैं।.

“धेनु सदानाम रईनाम” अथर्ववेद में दी गई इस पंक्ति में बताया गया हैं की गाय समृद्धि का मूल स्त्रोत्र हैं और यह सच भी हैं। आज अगर हम गाय के दूध, मूत्र और गोबर का किया जानेवाला इस्तमाल देखेंगे तो पता चलेगा की सच में गाय समृद्धि लाती हैं। गाय के दूध से कई तरह के उत्पाद तयार किए जाते हैं जैसे की दही, मख्खण, तूप, पनीर, छाछ, आइसक्रीम इत्यादि और गाय (Gay per Nibandh) के मूत्र और गोबर का इस्तमाल ईंधन और खाद के लिये किया जाता हैं। गाय का मूत्र दवाई बनाने के लिए भी करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गाय के मूत्र का सेवन करने से हमारे शरीर को अत्यधिक फायदा होता हैं। गाय (Essay on Cow Hdi) के मूत्र और गोबर से बना खाद किसी भी प्रकार के और खाद से बेहतर होता हैं। जो न सिर्फ फसल को बढ़ने में मदत करता हैं साथ में उससे जमीन की गुणवत्ता नैसर्गिक तौर से बढ़ती हैं। आज की सेंद्रिय खेती का मूल आधार तो गाय के गोबर और मूत्र से बना खाद ही हैं।. गाय (Gay ka nibandh) जीवनभर हमारा फायदा करवाती ही हैं साथ में उसके मौत के उपरांत उसके शरीर के लघबघ सारे अंग उपयोगी साबित होते हैं। जैसे की उसके सिंग, चमड़े और खुर से रोजमर्रा की कई चीजे बनाई जाती हैं और उसके हड्डियों से बना खाद खेती के लिए उपयोगी रहता हैं।.

Essay on Cow Hdi : गाय पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है. gay per nibandh / lekh * gay par nibandh likhen *

गाय हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसमें गोहत्या को महापातक माना गया हैं। ऐसा माना जाता हैं की हिंदू धर्म के सभी देव-देवता गाय के शरीर में वास करते हैं। हिंदू धर्म पुराण के अनुसार समुद्र मंथन के वक्त गाय (Gay par Nibandh) की उत्पति हुई और उसे स्वर्ग में स्थान दिया गया। इसी वजह से कहते हैं, अगर हम पूरी श्रद्धा से गाय की सेवा करें को हमें स्वर्ग प्राप्ति होती हैं। गो सेवा करने से हमारे मन, वाणी, कर्म और शरीर की पवित्रता संभव हैं। भारत में मनाए जानेवाले सभी उत्सव में गाय (Gay per Nibandh) के दूध से बने घी का विशेष महत्व हैं। साथ में धार्मिक पूजा-पाठ में भी गाय की पूजा की जाती हैं। विशेष रुप से उसे भोग चढ़ाया जाता हैं जिसे पूजा के संपन्न होने का प्रतीक माना गया हैं।. भारत में अलग-अलग जगह पर गाय (gay par nibandh) की अलग-अलग ३० से अधिक प्रजातीय पायी जाती हैं। जिनमें से प्रमुख तौर पर रेड सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी, राठी, मालवी, भगनाड़ी, अंगोल या निलेर, थारपारकर आदि गाय के प्रकार प्रसिद्ध हैं। दुग्धप्रधान एकांगी, वत्सप्रधान एकांगी और सर्वांगीन इन तीन प्रकारों में भारतीय गायों को विभाजित किया जाता हैं। दुग्धप्रधान एकांगी प्रकार की गाय दूध अधिक मात्र में देती हैं, वत्सप्रधान एकांगी प्रकार की गाय दूध कम देती हैं लेकिन इनके बछड़े खेती के काम और गाड़ी खींचने के काम आते हैं और सर्वांगीन प्रकार की गाय दूध भी अच्छा देती हैं और इनके बछड़े कर्मठ भी होते हैं।.

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