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Contents:
- GAY KA NIBANDH SANSKR ME || FOR CLASS 8TH
- TANTRA –MATRA-YANTRA KA SIDDH STHAL GAY KA SHRI BHAIRAV STHAN
- GAY - MEANG MARATHI
GAY KA NIBANDH SANSKR ME || FOR CLASS 8TH
* gay ka mahatva *
सनातन धर्म में यह मान्यता है कि गया में श्राद्ध करवाने से व्यक्ति की आत्मा को निश्चित तौर पर शांति मिलती है। इसलिए ही इस तीर्थ को बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ गया जी कहा जाता है। हिंदू धर्म में मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों को तर्पण भी इसीलिए ही दिया जाता है। ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और उनकी गति हो सके। कहते हैं कि एक बार जो व्यक्ति गया जाकर पिंडदान कर देता है। उसे फिर कभी पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध या पिंडदान करने की जरूरत नहीं पड़ती है। अधिकतर लोगों की यह चाहत होती है कि मृत्यु के बाद उनका पिंडदान गया में हो जाए। सनातन धर्म में यह मान्यता है कि गया में श्राद्ध करवाने से व्यक्ति की आत्मा को निश्चित तौर पर शांति मिलती है। इसलिए ही इस तीर्थ को बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ गया जी कहा जाता है।गया जी तीर्थ की पौराणिक कथा (Gaya Ji Histoy/ Gaya Ji Story): माना जाता है कि गया भस्मासुर के वंशज गयासुर की देह पर बसा हुआ स्थान है। एक बार की बात है गयासुर दैत्य ने कठोर तप किया। तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उन से वरदान मांगा कि उसकी देह यानी शरीर देवताओं की तरह पवित्र हो जाए। जो कोई भी व्यक्ति उसे देखे वह पापों से मुक्त हो जाए। ब्रह्मा जी ने गयासुर को तथास्तु कहा। इसके बाद लोगों में पाप से मिलने वाले दंड का भय खत्म हो गया। लोग और अधिक पाप करने लगे। जब उनका अंत समय आता था तो वह गयासुर का दर्शन कर लेते थे। जिससे सभी पापों की मुक्ति हो जाती थी।इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए देवताओं ने गयासुर को यज्ञ के लिए पवित्र भूमि दान करने के लिए कहा। गयासुर ने विचार किया कि सबसे पवित्र तो वो स्वयं हैं और गयासुर ने देवताओं को यज्ञ के लिए अपना शरीर दान किया। दान करते हुए गयासुर ने देवताओं से यह वरदान मांगा कि यह स्थान भी पापों से मुक्ति और आत्मा की शांति के लिए जाना जाए। गयासुर धरती पर लेटा तो उसका शरीर पांच कोस में फैल गया। गया तीर्थ भी इसलिए पांच कोस में फैला हुआ है। समय के साथ इस स्थान को गया जी पितृ तीर्थ के रूप में जाना जाने लगा।गया जी का महत्व (Gaya Ji Ka Mahatva/ Gaya Importance):गया जी का महत्व बहुत अधिक है। कहते हैं कि जिस व्यक्ति का पिंडदान यहां हो जाता है। उसकी आत्मा को निश्चित तौर पर शांति मिलती है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि गया में श्राद्ध हो जाने से पितरों को इस संसार से मुक्ति मिलती है। गरुण पुराण के मुताबिक गया जी जाने के लिए घर से गया जी की ओर बढ़ते हुए कदम पितरों के लिए स्वर्ग की ओर जाने की सीढ़ी बनाते हैं।.
HKhoj English Marathi Dictnary: gay.
TANTRA –MATRA-YANTRA KA SIDDH STHAL GAY KA SHRI BHAIRAV STHAN
इस आर्टिकल में हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं (Gay ka Nibandh Sanskr Me) गाय का निबंध संस्कृत भाषा में जो की परीक्षा में मुख्य रूप से * gay ka mahatva *
gay - Meang Marathi. Gay fn, pronuniatn, antonyms, synonyms and example sentenc Marathi.
Translatn Marathi for gay wh siar and oppose words. Gay ka marathi me matalab, arth r prayog. Tags for the word gay: Marathi meang of gay, What gay means Marathi, gay meang Marathi, marathi me gay ka matlab, pronunciatn, example sentenc of gay Marathi language.
अभ्यार्थियों इस आर्टिकल में हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं (Gay ka Nibandh Sanskr Me) गाय का निबंध संस्कृत भाषा में जो की परीक्षा में मुख्य रूप से पूछा ही जाता है यह निबंध कक्षा 6वीं से लेकर कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी है और यह आसान होने की वजह से आप इसे आसानी से याद भी कर सकते हैं और परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं.
GAY - MEANG MARATHI
tantra-mantra-yantra ka siddh sthal gaya ka shri bhairav sthan dae. rakh kumar sha ‘ravi’ bharat tirthon ka sh hai. yahan purva se pashchim r uÿar se da * gay ka mahatva *
गाय का निबंध संस्कृत में (Gay ka Nibandh Sanskr Me).
tantra-mantra-yantra ka siddh sthal gaya ka shri bhairav sthan dae. H tirthon men vishvaprasiddh moksh kari prirth gaya ke shri bhairav sthan ka nam ata hai jo sh bhar ke asht pradhan bhairav sthalon men shashth sthan par virajman kapal bhairav (dra kapal) ka shastrokt sthal hai.
Vaishnav parayan rakshas gaya ki day bhuja par virajman gaya tirth ke 14 tirth khandon men se ek shri kashi khand ke nabhi kshetra men virajman yah bhairav sthal gayasur ke kul gu ka divya sthal hai.